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Ghar Jane Ki Khushi

दिवाली  २०१५  – नवंबर   – १२
घर जाने की खुशी
गौरव सिन्हा 

मैं  दिल्ली   से    नवंबर  २०१५  को  अपने  बड़े  भाई  के  साथ  दिवाली  बनाने  के  लिए  घर  के  लिए  निकल  गया . लेकिन  हमारी  ट्रैन  बरेली  स्टेशन   आने  से  पहले  रुक  गयी  . . . और  हमारी  ट्रैन  लेट  होती  चली  गयी ….
 मैं  बहुत  खुश   था  क्योंकि  मैंने  चार  महीने  पहले  अपनी  टिकट  बुक  करवा  ली  थी  और  ऐसी   कोच  मैं  हमें  कन्फर्म   टिकट  बुक  हो  गयी  थी  वो  भी ऊप्पर बर्थ   की . अभी  दो  दिन  और  थे  या  ये  कहिये  की  एक  दिन  दूसरे  दिन  हमको  चलना  था  और  दूसरे  दिन  एक  और  चीज  थी  उस  दिन  मेरा  बर्थडे  भी  था  घर  पर  भी  सब  खुश  थे  मम्मी  पापा  बहन का  फ़ोन  पर  अब  इतना  दिन  बचा  है  तुम लोगो  के  आने  मैं.  
 मैं  और  मेरे  बड़े  भाई  हम  दोनों  दिल्ली  मैं  ही  जॉब  करते  हैं . हम  दोनों  लोग को दिवाली  के  लिए  घर  जाना  था . हमारा  घर  फैज़ाबाद  उत्तर  प्रदेश  मैं  है . आज 5 तारीख  को  मेरा  मन  ऑफिस  मैं  नहीं  लग  रहा  था  मैंने  पूरा  दिन  किसी  तरह  निक l दिया . दूसरे  दिन  मुझे  घर  जाना  था  6  तारीख  और  मेरा  बर्थडे   और  शाम  की  ट्रैन  थी  हमारी  दिल्ली  से  फैज़ाबाद  , सुबह  से  ही  फ़ोन  पर , फेसबुक  पर , व्हाट्सप्प  पर , हर  जगह  से  मुझे  बर्थडे  विसेस  मिलने  लगे  घर  से  दोस्तों  से  ऑफिस  मैं  कब  शाम  हो  गयी  पता  नहीं  चला  मैं  उस  दिन  ऑफिस  लंच  टाइम  मैं  फ़ोन  आया  मम्मी  का  की  बेटा तुमलोगो  को  कब  निकलना  है  मैंने  टाइम  बताया , मैंने  कहा  मम्मी  मुझे  केक  काट  के  बर्थडे  मानना  है  खेर  मेरा  मन  बच्चो  जैसा  बर्थडे  मनाने  का  था
  मैं  ऑफिस  से  जल्दी निकल  गया  मैंने  मेट्रो  से  राजीव  चौक  आया  जैसा  की  हम  लोग  जब  भी  घर   जाना  होता  है  तो  मेट्रो  धीरे  चलेगी  या  दस  दस  मिनट  के  लिए  रुक  जाएगी  वही  हुआ  जो  हमेशा  होता  है   ट्रैफिक  , मेट्रो  का  धीरे  और  रुक  कर  चलना . राजीव  चौक    कर  मेट्रो  चेंज  कर  के पुरानी  दिल्ली   स्टेशन  पहुँचा, मेरे  बड़े  भाई  अपने  ऑफिस  से  इन्ही  रुकावटों  का  सामना  करते  हुए पुरानी  दिल्ली  रेलवे  स्टेशन पहुंचे
 हम  लोगो  की  ट्रैन  राइट टाइम  थी . हम  भाई  स्टेशन  पर  चाय  नाश्ता  किये . फिर  हम  लोगो  को  जिस  ट्रैन  से  जाना  था  वो   ट्रैन  अपने  राइट  टाइम  6:२५  पर  लग  गयी . हम  लोग  अपना  सामान  अपने  बर्थ  के  आस  पास  सेट  कर  दिए , मुझे  अपने  लैपटॉप  बैग  की  हमेशा  चिंता  रहती  है  लेकिन  ऐसी  कोच  मैं  कोई  डर  नहीं  था  लेकिन  ध्यान  दे  रहा  था . हमारी  ट्रैन  निश्चित  समय  पर  चल  दी  हम   लोग  की  सीट  उप्पर थी  इस  लिए  हम  लोग  थोड़ी  देर  निचे  वाली  सीट  पर  बैठ गए  . तभी  मेरे  बड़े  भाई  ने  कहा  तुम्हारा  बर्थडे  था  मैं  तुम्हारे  लिए  केक  लाया  हूँ  मैंने  कहा  वह  क्रीम  वाला  केक  नहीं  था  भाई  लोग  फ्रूट  केक  था  मैं  बहुत  कुश  था . हम  लोगो  ने  केक  खाया  बैठ कर  बात  करते  रहे  . 
 बाकि  लोग  अपना  अपना   डब्बा  खोल  खाना  खाने  लगे . एक  महाशय  ने  अपने  मूली  के  पराठे  वाला  डब्बा  खोल  दिया  और  पूरी  बोगी  मूली  के  पराठे  के  महक  फेल  गयी  एक  पल  तोह  सांस  लेना  मुश्किल  हो  गया . सब  लोग  10:00 बजे  तक  अपना  बर्थ  को  सेट  करने  लगे  कोच  अटेंडेंट  ने  सबके  सीट  पर  कम्बल  तकिया  और  चद्दर    कर  रख  दिए  . और  सब  लोग  बिछा कर  सोने  लगे  . कुछ  टाइम  बिता  होगा  मैं  भी  अपने  सीट  पर  लेट  गया  और  थोड़ी  देर  मोबाइल  से  गण  सुना  फिर  आँख  लग  गयी  आँख  लगी  थी  की  1 बजा  होगा  बरेली  से  पहले  मेरी  आँख  खुली  टीटी, गार्ड , कोच  अटेंडेंट  सोर  मचा  रहे  थे  की  ट्रैन  का  रूट  चैंग  किया  जा रहा  है  बरेली  वाले  यात्री  यही  ऊतर जाये  , बरेली  के आगे  कोई  ट्रैन  पटरी  से  ऊतर  गयी  थी . हमारे  ट्रैन  को  दूसरे  रूट  पर  डाइवर्ट  कर  दिया  गया  जो  हमारी  ट्रैन  थी  वो  पूरी  चार  घंटा  लेट  हो  चुकी  थी . जब  हम  लोग  घर  पहुंचे  तोह  घर  पर  सब  बहुत  ख़ुश थे  हम  लोगो  ने  सबका  आशीर्वाद  लिया , और  दिवाली  की  तैय्यारी मैं  लग  गए .

गौरव सिन्हा 
फैज़ाबाद (उ.प्र.)
Online Advertising Company Ayodhya (Faizabad) Uttar Pradesh

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